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कब होगा भाग्योदय ?


वर्तमान युग में मनुष्य अच्छा समय कब आयेगा? मनुष्य इसकी फ़िक्र में ही सारी उम्र गुजार देता है क्योंकि ये आर्थिक और भौतिक युग है, इस कलिकाल में आदमी की चाहत पद, सुंदर मकान और उच्च कोटि के वाहन की अतिशय होती है. अब हम आपको जन्मकुंडली की कुछ स्थितियां बताते हैं जिनके विद्यमान होने पर आप समय आने पर अवश्य पद, मकान व वाहन की प्राप्ति आसानी से कर सकेंगे. एक बात ध्यान रखिये कि वाहन, मकान, सुख का कारक चतुर्थ भाव होता है और इन सबके लिये चतुर्थेश का बलि होकर अन्य भावेशों से संबंध बनाना नितांत आवश्यक है.

यदि चतुर्थेश बली होकर केंद्र त्रिकोण में हो, साथ ही भोगों का कारक ग्रह शुक्र भी अच्छी स्थिति में हो तो चतुर्थ भाव या भावेश पर दॄष्टि डालने वाले ग्रह की दशा अंतर्दशा में वाहन सुख की प्राप्ति होगी.

एकादश भाव चतुर्थेश के साथ मंगल भी युति कर रहा हो तो निश्चय ही वाहन सुख के साथ साथ राज्य पद भी प्राप्त होता है.

नवमेश केंद्र में हो और चतुर्थेश नवम भाव में बलवान शुक्र के साथ हो तो कीमती वाहन के साथ साथ महा ऐश्वर्य की प्राप्ति भी होती है.

चतुर्थ भाव में नवमेश और चतुर्थेश हों तब भी वाहन की प्राप्ति होती है.

चतुर्थ भावगत सूर्य हो, और शुक्र से युत गुरू नवम भावगत हों तब ३४ वर्षायु पश्चात वाहन की प्राप्ति होती है.

चतुर्थ भाव पर लग्नेश एवम एकादशेश पूर्ण दॄष्टि डालते हों तो एक से अधिक वाहनों की प्राप्ति होती है.

शुभ ग्रह दॄष्ट होकर लग्नेश यदि चतुर्थ, नवम या एकादश भावगत हो तो उत्तम वाहन सुख प्राप्त होता है.

चतुर्थेश पंचमेश के द्वारा भाव परिवर्तन संबंध होने पर भी अक से अधिक वाहनों का सुख मिलता है.

दशमेश और कादशेश के चतुर्थ भाव गत होने पर भी उत्तम वाहन सुख मिलता है.

चतुर्थेश एवम एकादशेश का भाव परिवर्तन योग हो तो बारह वर्षायु में ही वाहन प्राप्ति होती है.

लग्नेश स्वग्रही या उच्च का होकर बलवान हो तो उत्तम जमीन का सुख का मिलता है.

चतुर्थेश अगर सप्तम भावगत हो तो स्त्री के माध्यम से जमीन प्राप्त होती है.

चतुर्थेश अगर अष्टम भाव गत हो तो जातक सुंदर मकान का स्वामी होता है.

लग्नेश, द्वितियेश और एकादशेश कि युति अगर चतुर्थ भाव में हो तो जातक अनेक मकानों का स्वामी होता है.

लग्नेश सप्तमेश चतुर्थ भावगत हो तो बिना प्रयास के ही मकान की प्राप्ति होती है.

राहु या शनि चतुर्थ भावगत हों तो पुराने मकान की प्राप्ति होती है.

सिंह और मकर लग्न हो और मंगल चौथे भाव में बैठा हो तो मकान बनने में अकारण अनेक परेशानियों का समना करना पडता है.