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नक्षत्र




भारतीय वैदिक ज्योतिष में नक्षत्र सिद्धांत को प्रमुखता से स्थान दिया गया है. भविष्यकथन हेतु नक्षत्र पद्धति ज्योतिष की अन्य सभी प्रचलित पद्धतियों में सबसे सटीक व अचूक पद्धति है. चंद्रमा को अपनी कक्षा में भ्रमण करते हुये पृथ्वी की एक परिक्रमा करने में 27.3 अर्थात करीब सवा सत्ताईस दिन लगते हैं. चंद्रमा के 360 अंशों के इस परिभ्रमण पथ को ही 27 समान भागों में बांटा गया है, जिन्हे नक्षत्र कहा जाता है. और इन्हें ही पृथ्वी पर पाये जाने वाले विभिन्न पदार्थों, जीवों, प्राणियों की समानता के आधार पर एवं उनके तारामंडलों के गुण धर्म के आधार पर नामकरण किया गया है. हर एक नक्षत्र एक विशिष्ट तारों के समूह का प्रतिनिधित्व करता है. और हर नक्षत्र का विभाजन 4 चरणों में किया गया है. जातक का जन्म जिस नक्षत्र के जिस चरण में हुआ है, उसी के अनूरूप उसका नाम, व्यक्तित्व, जीवन-चरित्र और भविष्य तय होता है.
क्रमनक्षत्र नामवैदिक नामवेदांग ज्योतिष नामअंग्रेजी नाम
1अश्विनीअश्वयुजजौARIETES
2भरणीअपभरणीण्य:MUSCA
3कृतिकाकृतिकाकृALCYONE
4रोहिणीरोहिणीरोALDE BARAN
5मृगशिरामृगशीर्षमृORIONIS
6आद्राबाहूद्र्र्र्ORIONIS II
7पुनर्वसुपुनर्वसुसूGEMINORUM
8पुष्यतिष्यष्यCANCRI
9आश्लेषाअश्लेषाषाHYDRAE
10मघामघाधाREGULAS
11पूर्वाफाल्गुनीफल्गुनीग:LEONIS
12उत्तराफाल्गुनीउत्तराफाल्गुनीमाDENEBOLA
13हस्तहस्त्यCORVI
14चित्राचित्राचित्त्SPICA
15स्वातिनिष्टयास्वाARCTURUS
16विशाखाविशाखाखेLIBRAE
17अनुराधाअनुराधाधाSCORP II
18ज्येष्ठाज्येष्ठाज्येANTARES
19मूलविचृतौमूSCORPIONIS
20पूर्वाषाढाअषाढाप:SAGITTAR I
21उत्तराषाढाअषाढा उत्तराश्वेSAGITTAR II
22श्रवणश्रोणान:AQUILAE
23धनिष्ठाश्रविष्ठाष्ठाDELPHINI
24शतभिषाशतभिषकषक्AQUAR II
25पूर्वाभाद्रपदप्रोष्ठपदअज:PEGASI/ MARKAB
26उत्तराभाद्रपदपृष्ठपदहि:PEGASI/ ANDROMEDA
27रेवतीरेवतीरेPISCIUM


गुण धर्म, प्रकृति के आधार पर सम्पूर्ण 27 नक्षत्रों का तीन समूहों में विभाजन किया गया है-----
(1)देव प्रकृति:-अश्विनी, म्रृगशीर्ष, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, स्वाति, अनुराधा, श्रवण और रेवती नक्षत्र
(2)मनुष्य प्रकृति:-भरणी, रोहिणी, पूर्वा फ़ाल्गुनी, उत्तरा फ़ाल्गुनी, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और आद्रा नक्षत्र
(3)राक्षस प्रकृति:- कृतिका, आश्लेषा, मघा, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र.