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वैदिक ज्योतिष और रोजगार के सूत्र


व्यक्ति को जीवन में रोजगार, व्यवसाय, पद प्राप्ति, नौकरी आदि के कौन से अवसर प्राप्त होंगे अथवा जातक की आर्थिक स्थिति कैसी रहेगी, के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की जा रही है. यहां कुछ मूल सिद्धांतो, ग्रहों के सांमंजस्य से बनते रोजगार एवं व्यवसायों, पद प्राप्ति व नौकरी प्राप्ति से संबंधित समस्याओं पर प्रकाश डाला जा रहा है.

१. व्यक्ति को सरकारी सेवा/ नौकरी/रोजगार/व्यापार अथवा कोई पद प्राप्त होगा, जन्मकुंडली के प्रथम, द्वितीय, दशम एवं एकादश भावों में ग्रहों की स्थिति एवं इन भावों के स्वामी ग्रहों की स्थिति एवं इन सब पर पडते अन्य ग्रहों के प्रभाव पर निर्भर करती है. यदि दसवें भाव का स्वामी ग्रह किसी प्रकार भी पहले, दूसरे, छठें एवं ग्यारहवें भावों से संबंध रखता है तो व्यक्ति को हर हालत में अच्छे रोजगार की प्राप्ति होती है. तथा वो पूर्णतया लाभदायक सिद्ध होता है.

२. जन्मकुंडली में अधिकांश ग्रह जिन राशियों में हो उस राशि के तत्व गुण, स्वभाव एवं जिस जिस रोजगार को वह राशि सूचित करती है, व्यक्ति का स्वाभाविक झुकाव उन्हीं कार्यों की तरफ़ होता है.

३. दो या दो से अधिक क्रूर ग्रहों के साथ केतु जब मेष, वृश्चिक, मकर या कुंभ में से किसी राशि में हो तो व्यक्ति को निराशा, असफ़लता, हार तथा बार बार नौकरी छूटने का कष्ट सहन करना पडता है.

४. दसवें भाव का स्वामी ग्रह शुभ स्थिति में नौवें या बारहवें भाव में बृहस्पति के साथ स्थित हो तो व्यक्ति विदेश में सफ़लता प्राप्त करता है.

५. जब जन्मकुंडली में शनि से आगे राहु ( जैसे जन्मकुंडली में शनि पांचवें भाव में और राहु सातवें भाव में हो) होता है और इन दोनों के मध्य अन्य कोई ग्रह ना हो तो व्यक्ति को पहले ३५ वर्ष तक की आयु में रोजगार संबंधी कष्टों और परेशानियों का सामना करना पडता है. किसी भी काम में उसके पूरी तरह से पैर नही जम पाते.

६. जन्मकुंडली मे बुध ग्रह कहीं भी अकेला एवं अशुभ प्रभाव से दूर हो तो व्यापार में जातक अत्यधिक उन्नति प्राप्त करता है.

७. यदि अधिकांश ग्रह जनमकुंडली में तीसरे, दसवें, ग्यारहवें एवं बारहवें अथवा ७, ८, ९, १०. ११ एवं १२ वें भाव में बैठे हों और उन्हीं में सूर्य ग्रह भी सम्मिलित हो तो जातक के लिये नौकरी करना अथवा जनहित विभागों में कार्य करना ही लाभ प्रद रहता है. ऐसे व्यक्ति जीवन में कभी भी स्वयं के निजि व्यापार में प्रगति नही कर सकते.




10 वें भाव में स्थित ग्रह अथवा 10 वें भाव का स्वामी ग्रह



रोजगार/ व्यवसाय
सूर्य
बहुत आशाएं और उमंगे रखने वाला, जीवन में उच्च अधिकारी बनना चाहे, उच्च पद प्राप्ति, सरकारी सेवा, नौकरी में रहना कठिन, डाक्टर, लीडर या प्रबंधकीय कार्यों में सलंग्न.
चंद्रमा
व्यापार, प्रोविजन स्टोर, कृषि, जलीय पदार्थ, पैतृक व्यवसाय में सलंग्न, रोजगार में परिवर्तन हेतुबार बार विचार उठते रहें.
मंगल
जोखिम के कार्य, पुलिस सेना, मैकैनीकल, सर्जन, धातु का कार्य, केमिस्ट, फ़ायर ब्रिगेड, होटल, ढाबा, अग्नि से संबंधित कार्य, डाईवर, बीमा, मेकेनिक एवं इंजीनीयर आदि.
बुध
व्यापारी, ज्योतिषी, प्रिंटिंग कार्य, सेक्रेटरी, लेखक, अकाऊंटेंट, क्लर्क, आडीटर, एजेंट, पुस्तक विक्रेता, दलाल, अनुवादक, अध्यापक, सहायक, नर्सिंग, मुंशी, स्पीडपोस्ट, कोरियर इत्यादि का कार्य.
गुरू
शिक्षक, प्रकाशक, जज, न्यायाधीश, वकील, धार्मिक नेता, कथावाचक, पुरोहित, बैंक अधिकारी, मेनेजर, कपडा स्टोर, प्रोविजन स्टोर, सलाहकारिता आदि के कार्य
शुक्र
स्वास्थ्य विभाग, अस्पताल, मेटरनिटी होम, सोसायटी, रेस्टोरेंट, रेडीमेड वस्त्र, मनियारी की दुकान, फ़ोटोग्राफ़ी, गिफ़्ट आयटम, आभूषण एवं स्त्री जाति से संबंधित विभाग/कार्यक्षेत्र
शनि
लेबर, लेबर विभाग, प्रबंधक या फ़िर अधिनस्थ सेवा में उच्चपद, अधिकारी, उद्योगपति, डाक्टर, रंग रसायन, पेट्रोकेमिकल इत्यादि.
(सब्र संतोष, सुझबूझ रखे तो व्यवसाय ठीक चले, जल्दबाजी करे तो मुश्किले खडी हों और हानि हो, दुर्घटनाएं, निराशा एवं घाटे का मुंह देखना पडे.)
राहु
डाक्टर, कसाई, सफ़ाई कर्मचारी, जेल विभाग, विद्युत विभाग, लेखक उच्चाधिकारी एवम उच्च पद प्राप्ति.
(यदि सूझबूझ रखे और दिमाग से काम ले तो उन्नति करे नही तो अपना काम स्वयं ही बिगाडे.)
केतु
गुप्त विद्या, तांत्रिक, ज्योतिषी, होम्योपैथी/आयुर्वेद/नेचरोपैथी का डाक्टर, ट्रेवल एजेंट, फ़र्नीचर का काम, पशुओं का व्यापारी.
(जितना घूमने फ़िरने वाला हो उतना ही लाभ प्राप्त करे.)