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भारतीय ज्योतिष और पितृ दोष

'सीमा' एक ऎसा शब्द है जिससे सम्पूर्ण विश्व जुडा हुआ है और उससे प्रभावित भी होता है. प्रत्येक वस्तु, प्रत्येक प्राणी इस शब्द से प्रत्यक्ष रूप से जुडा है, सभी की अपनी एक सीमा होती है, एक मर्यादा होती है. जब भी इस सीमा का, इस मर्यादा का किसी भी तरह से उल्लंघन किया जाता है तो अहित होना निश्चित है. उदाहरण के लिए जल को ही लीजिए, जब तक जल अपनी मर्यादा में है, अपनी सीमा में है---तब तक हम सभी के लिए प्राण देने वाला है. परन्तु यदि जल अपनी सीमाओं को लाँघकर समुद्र से निकलकर शहर में आ जाये, उसकी लहरें मकानों को ध्वस्त कर दें, तो क्या होगा ? हवा जब तक मध्यम गति से बह रही है हमारी श्वासें चल रही हैं, परन्तु यदि हवा अपनी सीमाओं को लाँघ जाये, अपनी मर्यादा छोड दे, अपना अनुशासन त्याग दे, तो क्या होगा ? आँधी और तूफान, चारों ओर हाहाकार ही हाहाकार.

अत: यह तो स्पष्ट है कि प्रत्येक वस्तु, प्रत्येक प्राणी एक सीमा में, एक मर्यादा में है, अनुशासन में है---तब तक ही वह सबके लिए उत्तम है, कल्याणकारी है. यह बात हमारे घर-परिवार व धार्मिक संस्कारों पर भी लागू होती है. परिवार के सदस्य सीमाओं का उल्लंघन करें, मर्यादाओं को ताक पर रख दें तो क्या होगा ? निश्चित है कि समस्त परिवार को कष्ट उठाना ही पडेगा. एक घर-परिवार का अनुशासन टूटेगा, मर्यादा भंग होगी तो उसका प्रभाव आसपास के घरों में, मोहल्ले में और समाज पर भी निश्चित रूप से पडेगा. इसी प्रकार परिवार के मुखिया द्वारा जो सत्कर्म एवं दुष्कर्म किए जाते हैं, उनका फल उसके जाने के बाद पारिवारिक सदस्यों को भुगतना पडता है, विशेषकर उसकी सन्तान को. अब यह फल अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी, जो कि उस मुखिया द्वारा किए गए कर्मों पर निर्भर करता है. यदि परिवार के मुखिया द्वारा अच्छे कार्य किए गए हैं, तो निश्चित रूप से वह अपने परिवार को सम्पन्नता एवं प्रसन्नता दे पाएगा. यदि उसने अनैतिक एवं दुराचार ही किए हैं तो वह अपने परिवार को अपमान,घृणा एवं दु:खों के अतिरिक्त भला ओर दे भी क्या सकता है.

इस प्रकार के दुष्परिणाम ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष के नाम से जाने जाते है. यह पितृदोष अपने किसी पूर्वज द्वारा मर्यादा भंग करने से होते हैं. इनके कारण व्यक्ति आर्थिक संकट, विभिन्न कार्यों में बाधा, विवाहादि में रूकावटें, पारिवारिक झगडे, अपमान, अपयश, दोषारोपण, ऋणग्रस्तता, व्यापार/व्यवसाय में घाटा, नौकरी आदि में बार-बार परेशानियाँ आदि अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पडता है.

जानिये-----कहीं आपकी कुंडली में पितृदोष तो नही?....