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आपका होने वाला पति कैसा होगा?

विवाह योग्य होती कन्याएं अक्सर यह कल्पना करती हैं कि उनका होने वाला पति कैसा होगा? जो घोडी पर चढकर आयेगा और उन्हें ले जायेगा जहां उनका नया घर संसार शुरू होगा. हर लडकी की इच्छा होती है कि उसका एक सुखी गॄहस्थ जीवन हो, प्यार देने वाला पति हो और जीवन में सुख ऐश्वर्य हो.

पर क्या सभी क्न्याओं के सपने पूर्ण हो पाते हैं? एक तरफ़ ऐसा पति मिलता है जो बडा व्यापारी या ओहदेदार अफ़्सर है, अपनी पत्नि पर जान छिडकता है, उसकी सुख सुविधा के लिये अच्छा घर मकान नौकर चाकर जुटाता है तो दूसरी तरफ़ ऐसे भी पति होते हैं जो दिन रात घर में कलह किये रहते हैं. अब्बल तो वो खुद कमाने में अक्षम होकर पत्नि से दूसरों के घर झाडू बुहारी का काम करवाते हैं, बच्चों व पत्नि से मारपीट करना अपना धर्म समझते हैं. और कुछ ऐसे भी पति पाये जाते हैं जो अच्छा व्यापार, धन या अफ़सर होते हुये भी पत्नि और बच्चों को सिवाय गाली गलौच और मारपीट के कुछ नही देते, घर मे चौबीसों घंटे कलह मचाये रहते हैं. जब तक वो घर में रहते हैं, बच्चे और पत्नि यही प्रार्थना करते रहते अहिं कि कब ये घर से आफ़िस जाये और थोडी देर के लिये शांति मिले.

यानि कुछ ऐसी खुशनसीब पत्निया होती हैं जो यहां स्वर्गिक आनंद उठा रही होती हैं वही कुछ ऐसी होती हैं जो यहां साक्षात नर्क भोगती है. आईये इस बात को ज्योतिषिय दॄश्टिकोण से समझने का प्रयत्न करते हैं.

जन्म समय में जो ग्रहों की स्थिति होती है उस अनुसार विद्या, बुद्धि, धन, कुटुंब, भाग्य, सुख इत्यादि का अनुमान जन्म्कुंडली से लग जाता है इसी प्रकार किसी लडकी का दांपत्य जीवन कैसा रहेगा, इसका पता भी जन्मकुंडली स्थित ग्रहों को देखकर लग जाता है.

जनम्कुंडली का सातवां भाव जीवन साथी का होता है और गुरू पति सुख का कारक ग्रह होता है. मंगल की भुमिका यहां स्त्री के काम (यौन) सुख एवम रज से संबंधित होती है. अत: किसी स्त्री का का पति कैसा होगा और उसका भावी दांपत्य जीवन कैसा होगा? इसके लिये बहुत गहराई से स्त्री की जन्मकुंडली के सातवें भाव, सप्तमस्थ राशि, सप्तमस्थ स्थित ग्रह, सप्तम पर दॄष्टि डालने वाले अन्य भावाधिपति, वॄहस्पति ग्रह स्थित और उस पर अन्य भावाधिपतियों के प्रभाव का अध्ययन करना पडेगा. वॄहस्पति के साथ ही मंगल का भी विशेष रूप से अध्ययन कर लेना चाहिये. स्त्रियों की कुंडली का अध्ययन करते समय विशेष रूप से नवमांश कुंडली के साथ ही साथ द्रेषकाण और त्रिशांश का भलिभांति अवलोकन कर लेना चाहिये.

अब हम आपको कुछ वो योग बता रहे हैं जो किसी स्त्री की कुंडली में विद्यमान हों तो उसे दामफ्त्य सुख प्रदान करने वाले पति की प्राप्ति सहज रूप से होती है.

१. सप्तम भाव में सप्तमेष स्वग्रही हो
२. सप्तम भाव पर पाप ग्रहों की दॄष्टि ना होकर शुभ ग्रहों की दॄष्टि हो अथवा स्वयं सप्तमेश सप्तम भाव को देखता हो.
३. सप्तमस्थ कोई नीच ग्रह ना हो यदि सप्त भाव में कोई उच्च ग्रह हो तो अति सुंदर योग होता है.
४. सप्तम भाव में कोई पाप ग्रह ना होकर शुभ ग्रह विद्यमान हों और षष्ठेश या अष्टमेश की उपस्थिति सप्तम भाव में कदापि नही होनी चाहिये.
५. स्वयं सप्तमेश को षष्ठ, अष्टम एवम द्वादश भाव में नहीं होना चाहिये. सप्तमेश के साथ कोई पाप ग्रह भी नही होना चाहिये साथ ही स्वयं सप्तमेश नीच का नही होना चाहिये.
६. सप्तमेश उच्च राशिगत होकर केंद्र त्रिकोण में हो.
७. वॄहस्पति भी स्वग्रही या उच्च का होकर बलवान हो, दु:स्थानगत ना हो, उस पर पाप प्रभाव ना हो तो अति श्रेष्ठ दांपत्य सुख प्राप्त होता है.
८ मंगल भी बलवान हो. मंगल पर राहु शनि की युति अथवा दॄष्टि प्रभाव नही होना चाहिये.