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अंक 5 का महत्व

अंक 5 का महत्व
5 का अंक मनुष्य की प्राकृतिक विशेषताओं को व्यक्त करता है, जो कि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश नामक इन पंच तत्वों के आधार पर निर्मित है. हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों में भी पंचभूत अर्थात पाँच देवताओं का वर्णन मिलता है. पाँच वस्तुओं का जहाँ आध्यात्मिक महत्व हैं, वहीं सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक जीवन में भी 5 का अंक अपना सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. भारत में जिस प्रकार धार्मिक रूप से 5 को पवित्र तथा प्रबुद्ध अंक माना जाता है, वैसे ही चीन में भी इसे ईश्वरीय शक्ति का मेरूदंड कहा गया है. अंक ज्योतिष में 5 की उपलब्धि को अत्यंत भाग्यवर्द्धक स्वीकार किया गया है. 5 प्रकार के दंड विधान और पाँच ही भौतिक तत्व हैं.  ये पाँच भौतिक तत्व हैं------मिट्टी, लकडी, धातु,अग्नि और जल. जिनका अधिकार सूर्य आदि प्रमुख पाँच ग्रहों के अधीन है.
शनि---पृथ्वी अर्थात मिट्टी का अधिपति है.
बृहस्पति---काष्ठ अर्थात लकडी का अधिपति है.
शुक्र--सोना, चाँदी, ताँबा इत्यादि समस्त धातुओं का प्रतिनिधित्व करता है.
मंगल----अग्नि का अधिपति है.
चन्द्रमा------जलतत्व का अधिपति है.
मनुष्य के आचरण और चरित्र के व्यवहार को पाँच नियमों बाँधा जाता है-----जैसे संतान के प्रति वात्सल्य प्रेम, स्वामी-भक्ति, दापत्य जीवन की कर्तव्यनिष्ठा, आज्ञाकारिता और सदाश्यता. इन पाँचों चरित्रगुणों का संबंध मनुष्य के कर्म व्यवहार से जुडा है. इस प्रकार आप जान सकते हैं कि 5 का अंक मानवता और  मानवीय सम्बंधों का सूत्रधार अंक है. मनुष्य एक ऎसे धरातल के मध्य स्थित है, जहाँ एक ओर आँखों से दिखाई पडने वाला ये प्रत्यक्ष संसार है, वहीं दूसरी ओर अप्रत्यक्ष विश्व. इसके अनन्तर वह वास्तविक(Material) तथा अवास्तविक(Immaterial) संसार को मापने में व्यस्त है, जिसमें उसकी सहायता करते हैं अनुभूति तथा विचार. मनुष्य जो कि भौतिक और अभौतिक तत्वों का मूर्त रूप है, उसमें ब्राह्मंड का सार भी निहित है. वह इस विशाल ब्राह्मंड का ही सूक्ष्म अणु तत्व है. मानव जीवन रहस्य अंकों की सजीवता से बहुत गहराई से जुडा हुआ है, जिसे लाख चाहने पर भी नकारा नहीं जा सकता.