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कालसर्प योग से मुक्ति के सहज उपाय

यह तो सर्वविदित ही है कि जन्मकुंडली में कालसर्प योग के कारण इन्सन को जीवन में अनेक प्रकार की बाधाओं, हानि-परेशानी, दिक्कतों का सामना करना पडता है. जैसे, विवाह, सन्तान में विलम्ब, विद्याभ्यास में विक्षेप, दाम्पत्य जीवन में असंतोष, मानसिक अशांति, भ्रम एवं दुविधापूर्ण अनिश्चयात्मक स्थिति, स्वास्थय हानि, धनाभाव एवं प्रगति में रूकावट आदि इन सब कष्टों, परेशानियों से मुक्ति हेतु 'कालसर्प योग' की श्रद्धा-भक्तिपूर्वक विधिवत शान्ति करानी अति आवश्यक हो जाती है. इस योग की शान्ति के पश्चात ही व्यक्ति जीवन में पगे-पगे उत्पन होने वाली विषम परिस्थितियों से मुक्त होकर पूर्ण आनन्दमय सुखी जीवन का उपभोग कर सकता है.

किन्तु 'कालसर्प शान्ति अनुष्ठान' अपने आप में एक जटिल एवं महंगी प्रक्रिया है, जिसे कष्टों-परेशानियों में घिरे एक आम मध्यमवर्गीय परिवार के व्यक्ति द्वारा सम्पन्न करवा पाना भी थोडा मुश्किल हो जाता है. अब व्यक्ति या तो जीवनभर इस योग के दुष्प्रभावों को झेलता रहे या फिर अपने परिवार का पेट काटकर अथवा किसी से उधार पकडकर इस महंगें अनुष्ठान को सम्पन्न कराये. उस पर से इस बात की भी कोई गारंटी भी नहीं कि जिस ब्राह्मण के द्वारा वो शान्ति अनुष्ठान सम्पन्न करवाने जा रहा है, वो उसे पूर्ण विधि विधानपूर्वक कर भी पाता है या नहीं. क्योंकि ये तो ब्राह्मण की अपनी योग्यता पर निर्भर करता है कि वो इस गूढ शान्ति कर्म का कितना ज्ञान रखता है.

इसलिए हम कालसर्प योग शान्ति विधान के अतिरिक्त आपको कुछ सर्वसुलभ साधारण उपायों की जानकारी दे रहे हैं, जिन्हे समय-समय पर करते रहने से आप इस योग के दुष्प्रभावों से निजात पा सकते हैं----

* काले पत्थर की नाग देवता की एक प्रतिमा बनवा कर उसकी किसी मन्दिर में प्रतिष्ठा करवा दें.
* कार्तिक या चैत्रमास में सर्पबलि कराने से भी कालसर्प योग-दोष का निवारण हो जाता है.
* ताँबा धातु की एक सर्पमूर्ति बनवाकर अपने घर के पूजास्थल में स्थापित करें. एक वर्ष तक नित्य उसका पूजन करने के बाद उसे किसी नदी/तालाब इत्यादि में प्रवाहित कर दें.
* श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि अर्थात नागपंचमी को उपवास रखें. उस दिन सर्पाकार सब्जियाँ खुद न खाकर, न अपने हाथों काटकर बल्कि उनका किसी भिक्षुक को दान करें.
* प्रत्येक मास के ज्येष्ठ सोमवार( सक्रान्ति के बाद आने वाला प्रथम सोमवार) के दिन शिवलिंग पर चाँदी के सर्पों की एक जोडी चढाते रहें.