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विवाह कब होगा ?

वर्तमान युग में पढाई लिखाई और सेटल होने तक शादी नही करने के चलन की वजह से शादी ज्यादा उम्र में होने लगी है. ऐसे में पालको का चिंतित होना स्वाभाविक है. जन्मकुंडली में कुछ योग ऐसे होते हैं जिनके फ़लिते होने के समय में विवाह आसानी से हो जाता है.

इसके लिये सातवां भाव, सप्तमेश व शुक्र से संबन्ध बनाने वाले ग्रहों को देखना चाहिये. जन्म कुण्डली में जो भी ग्रह अशुभ या पापी ग्रह इन ग्रहों से युति या अन्य प्रकार के संबंधों द्वारा इन पर प्रभाव डालता है असल में वही ग्रह विवाह में विलम्ब का कारण बन जाता है.

विवाह के कारक भाव सप्तम, सप्तमेश व शुक्र पर शुभ ग्रहों का असर जितना ज्यादा होगा, उतना ही अच्छा रहता है. एवम अशुभ ग्रहों का प्रभाव ना होना भी विवाह का समय पर संपन्न होने के लिये जरूरी रहता है. क्योकि अशुभ एवम पापी ग्रह जब भी शादी के कारक भावों अथवा कारक ग्रहों को प्रभावित करते है तो विवाह में अनावश्यक देरी होती है. जन्म कुण्डली के अध्ययन पश्चात जब यह तय हो जाये कि शादी की उम्र या वर्ष कौन सा है तब उसके बाद विवाह के कारक ग्रह शुक्र और विवाह के खास (main) ग्रह की दशा अंतर्दशा में विवाह संपन्न होने की संभावनाएं बढ जाती है.


कौन सी दशा- अन्तर्दशाओं में विवाह होगा :-

जिस समय में कुण्डली के योग विवाह की संभावनाएं बना रहे हों, उस समय में जातक की ग्रह दशा में सप्तमेश का संबन्ध शुक्र (Venus) से हो तों इस समयावधि में विवाह संपन्न होता है. एवम जब भी सप्तमेश और द्वितीयेश का ग्रह दशा/अंतर्दशाओं में संबंध बन रहा हो उस समयावधि में भी विवाह होने के प्रबल योग होते है.

ग्रह दशाओं में जब भी सप्तमेश व नवमेश का आपस में योग बन रहा हो और ये दोनों जन्म कुण्डली में पंचमेश से भी संबन्ध बनाते हों तो इस समय में प्रेम विवाह होने की संभावनाएं बलवती हो जाती है.

सातवें भाव में जो ग्रह स्थित होते हैं उनका संबन्ध अगर सप्तमेश या शुक्र से बन रहा हो, उन सभी ग्रहों की दशा - अन्तर्दशा में विवाह होने की प्रबल संभावनाएं होती हैं.

सप्तम भावगत ग्रह, सप्तमेश जब शुभ बलि ग्रह होकर शुभ भाव में विराजित हों तो जातक का विवाह संबन्धित ग्रह की दशा की शुरूआत की अवधि में होने की प्रबल संभावना होती.

शुक्र, सप्तम भावगत ग्रह या सप्तमेश जब बलि शुभ ग्रह होकर अशुभ भाव अथवा अशुभ ग्रह की राशि में होने पर अपनी दशा/अन्तर्दशा के बीच वाले समय में विवाह के योग बना देता है..
जब विवाह कारक ग्रह शुक्र नैसर्गिक रुप से शुभ हों, तो गोचर में गुरू अथवा शनि से योग करने पर अपनी दशा/अन्तर्दशाओं में विवाह होने का योग बनाता है.

जन्म कुण्डली में शुक्र जिस ग्रह के नक्षत्र में स्थित हों, उस ग्रह की दशा/अंतर्दशा की अवधि में विवाह होने की प्रबल संभावनाएं होती है.