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कैसे हैं आपके शिक्षा योग?

जातक के शिक्षा योग कैसे हैं? यह एक सहज जिज्ञासा होती है जिसके बारे में जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव के अधिपति की स्थिति से सहज ही जानकारी प्राप्त की जा सकती है. यानि चतुर्थेश कुंडली के जिस भाव में बैठा हो उसके अनुसार परिणाम प्राप्त होते हैं. नीचे हम सभी भावों की स्थिति के अनुसार फ़ल बता रहे हैं.

प्रथम भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के प्रथम भाव में बैठा हो तो जातक जीवन में अच्छी विद्या प्राप्त करता है जो उसको लाभदायक रहती है.

द्वितीय भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के द्वितीय भाव में बैठा हो तो ऐसा जातक विद्या अवश्य प्राप्त करता है भले ही उसके पालकों की आर्थिक हैसियत उसे पढाने लायक ना हो तो भी.

तृतीय भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के तृतीय भाव में बैठा हो तो जातक की विद्या प्राप्त करने में उसकी माता की विशेष भूमिका होती है. माता की मेहनत से ऐसा जातक शिक्षा प्राप्त कर लेता है.

चतुर्त भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के चतुर्थ भाव में ही बैठा हो तो ऐसा जातक बहुत ही उत्तम विद्या प्राप्त करता है.

पंचम भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के पंचम भाव में बैठा हो तो ऐसा जातक अनेक प्रकार की बाधाओं के साथ विद्या प्राप्त करता है और जातक अपने जीवन में ऐसी विद्या का कोई उपयोग नही कर पाता है.

षष्ठ भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के षष्ठ भाव में बैठा हो तो ऐसे जातक को विद्याध्ययन में बहुत अडेचने आती हैं परंतु उसे विद्या लाभकारी होती है.

सप्तम भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के सप्तम भाव में बैठा हो तो और ऐसे जातक की विद्या २२ साल की उम्र के पहले पूर्ण हो जाती है और उससे जातक लाभ प्राप्त करता है. यदि २२ साल की उम्र के पहले विवाह हो जाये तो उसकी विद्या प्राप्ति में विघ्न उत्पन्न हो जाते हैं.

अष्टम भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के अष्टम भाव में बैठा हो तो ऐसे जातक को मातृ सुख में कमी होती है और मातृ सुख के अभाव वश विद्या में न्युनता.

नवम भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के नवम भाव में बैठा हो तो ऐसा जातक प्रचारक, आलोचक, एवम शिक्षक होता है चाहे पूरी विद्या प्राप्त की हो या नही.

दशम भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के दशम भाव में बैठा हो तो ऐसे जातक को स्कूल जाने में डर लगता है और विद्या में कमी रहती है. ऐसा जातक अपने पिता का कार्य संभालता है.

एकादशम भाव - अगर चतुर्थेश कुंडली के एकादश भाव में बैठा हो तो ऐसा जातक अनेक रूकावटों के साथ विद्या प्राप्त करता है.

द्वादश भाव - ऐसा जातक घर के बाहर रहकर विद्या प्राप्त करता है. ऐसा जातक पढे तो पूरा पढे वर्ना एकांत में बैठा विद्या प्राप्त करने के सपने लेने वाला होता है.